केवल देवताओं का ही नहीं हर अतिक्रमण हटाना चाहिए ऋषिकेश से।पढ़िए janswar.com में।

लेख – नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी (राज्य मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार)

एक ने अपने आका को खुश करने व सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश पर मंदिर ढहा दिए। आक्रांता व सरकार में क्या अंतर है? मंदिर के भगवान व आकर मैं अंतर हो सकता है। आस्था में नहीं । टूटा तो मंदिर ही न।

हिन्दू धर्म ध्वजा रक्षक का चोला पहन और राम मन्दिर वहीं बनाएंगे का उद्घोष कर सत्ता में आई बीजेपी सरकार आजकल ऋषिकेश में सड़कों के किनारे बने मंदिरों को तोड रही है इससे उसके समर्थक उससे नाराज हुए हों या नहीं मैं नहीं जानता पर पंजाब सिन्धु क्षेत्र विद्यालय के बाहर 1987 से पहले के बने हनुमान मंदिर के टूटने पर मुझे भी बहुत क्षोभ हुआ।कारण इस मंदिर को 1992 के अर्द्घ कुंभ में किसी की न सुनने वाले अपर मेला अधिकारी बाबा हरदेव सिंह से लेकर अबतक अभयदान मिला था ।इससे यह साबित हुआ कि यह मंदिर यातायात में विघ्न नहीं डाल रहा था।पर हिन्दू धर्मध्वजा रक्षक बीजेपी सरकार द्वारा न्यायालय के आदेश पर इसे व ऐसे मंदिर तोड़ दिए गये। तब क्या अंतर रह गया आतताई आक्रमणकारी आक्रांता में और इस सरकार में? एक ने राम मंदिर तोड़ा अपने धार्मिक उन्माद में।दूसरे ने न्यायालय आदेश पर तोड़ा।टूटे मंदिर ही।
सरकार और उसके समर्थक कह सकते हैं कि यह सब न्यायालय के आदेश पर हुआ। पर क्या सरकार न्यायालय के सभी आदेश मानती है? यदि हां तो सरकर कोर्ट के आदेशों के विरूद्ध अध्यादेश क्यों लाती है? सरकार चाहती तो इस मामले में भी अध्यादेश ला कर इस पुराने मंदिर को बचा सकती थी,परन्तु उसने यह सब नहीं किया।
यह सच है के ऋषकेश में अतिक्रमण चरम पर है।पिछले कुंभ में बने शौचालय व मूत्रालयों पर अतिक्रमण कर दिया गया है।देहरादून तिराहे से लेकर इंद्रमणि बडोनी चौक तक एक ही मूत्रालय है बाकी जो बने थे सब अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए। जो मूत्रालय बी आर ओ रोड के मुहाने पर है वह फल की ठेंलियों के बीच दिखाई भी नहीं देता।

सरकार,प्रशासन को याद होगा कि न्यायालय तो मकानों दुकानों आश्रमों के अवैध कब्जे हटाने को भी कहा था पर यह तो आज भी यथावत हैं। शायद इसलिए कि यह सब वोटर हैं और भगवान वोट नहीं दे पाते ।
मेरा उद्देश्य अवैध कब्जों का समर्थन करना नहीं है मेरा उद्देश्य है कि सरकार को हर अतिक्रमण को ध्वस्त करना चाहिए चाहे वह छोटा हो बड़ा,गरीब हो या अमीर का हो या आमजन का,पार्षद का हो या महापौर का, मंत्री का हो या साधू का अतिक्रमण हो या सन्यासी का, सभी का अतिक्रमण,अतिक्रमण है और हटाया जाना चाहिए।केवल छोटे लोगों का अतिक्रमण व छोटे मंदिर ही नहीं।

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