आज देश मे किसानों के आंदोलन को 41 दिन बीत चुके हैं।लेकिन अभी तक तो कोई ठोस पहल होती नजर नहीं आ रही जो कि निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है।कहने को तो भारत कृषि प्रधान देश है देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है लेकिन यह कड़वा सच है कि किसानों को मिलने वाली सुविधा व ऋण का फायदा केवल 10 प्रतिशत किसान उठाते है।
आम किसान तो बस किसी तरह थोड़ा बहुत अनाज बेचकर अपना व परिवार का खर्चा चला रहा है।
किसान आंदोलन में भी वही पिस रहे है व मर रहे जो वर्ग हर बार हर आंदोलन का हिस्सा होता है।वही कई राजनीतिक दल जिनका अस्तित्व आज खतरे में है वो भोले किसानों को भावनात्मक रूप से ब्लैक मेल कर रहे हैं।
कुल मिलाकर हमने तो जीवन के पांच दशक पार करने के बाद यही देखा है।आंदोलन चाहे कोई भी हो मरता आम इंसान है फायदा चालाक लोगो व नेताओं को ही मिलता है।
इन सभी बातों को मद्देनजर रखते हुए आप सभी को यह काव्य पुष्प गुच्छ भेंट कर रहा हूँ।
क्रेजी शॉट
पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी
मैदानो में चल रही शीत लहर
बढ़ती ठंड के कारण
कई किसान गये मर।
सोचता हूँ
हर बार हर जगह
मरता है तो बस आम आदमी
आम इंसान क्या करे
कोरोना से बचे तो ठंड से मरे।
जीते जी भुगतता है
इस दुनिया में नरक
बिडम्बना देखो समाज की
कहते हैं कि
मरने के बाद वह गया है स्वर्ग।
इसी बात से होता है रंज
क्योंकि इससे बढ़कर नही हो सकता
आम आदमी के लिए
कोई भी तंज।।
अशोक क्रेजी
पत्रकारिता निष्णात