
एम्स में 7मई को भर्ती मरीज कोरोना पॉजीटिव। पिछले भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य में आशातीत सुधार।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में जिला हरिद्वार के रुड़की निवासी एक पुरुष पेसेंट की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आई है। यह मरीज एम्स अस्पताल में बीती सात मई को क्रोनिक नेक्रोटाइजिंग पेंक्रियाटाइटिस की बीमारी के इलाज के सिलसिले में आया था, जहां कोविड स्क्रीनिंग ओपीडी में इसकी कोविड की टेस्टिंग की गई,जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मरीज को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया गया है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत के स्टाफ ऑफिसर डा. मधुर उनियाल जी ने बताया कि क्रोनिक नेक्रोटाइजिंग पेंक्रियाटाइटिस से ग्रसित इकबालपुर, रुड़की हरिद्वार निवासी 31 वर्षीय पुरुष रोगी बीते बृहस्पतिवार सात मई को एम्स की कोविड स्क्रीनिंग ओपीडी में अपने इलाज के सिलसिले में आया था, अनिवार्यरूप से कोविड टेस्टिंग के निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत संस्थान में इस मरीज का कोविड 19 की सैंपलिंग कराई गई। जिसकी रिपोर्ट शुक्रवार को पॉजिटिव आई है। उन्होंने बताया कि इसके बाद मरीज को एम्स के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा दिया गया है,जहां उसका उपचार चल रहा है।
एम्स ऋषिकेश में भर्ती कोरोना पॉजिटिव पेसेंट की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। लगातार दो रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद मरीज को शनिवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। गौरतलब है कि यह एम्स में भर्ती दूसरा पेसेंट है, जो कि संस्थान की नर्सिंग ऑफिसर है। इससे पूर्व दून से एम्स में रेफर होकर आए कोरोना पॉजिटिव पेसेंट की उपचार के बाद कोविड 19 रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत के अनुसार संस्थान में भर्ती कोविड पॉजिटिव लगातार दूसरे मरीज की भी उपचार के बाद रिपोर्ट नेगेटिव आई है शुक्रवार को एम्स संस्थान में भर्ती कोरोना पॉजिटिव एक महिला नर्सिंग ऑफिसर की कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आई है। जनरल सर्जरी विभाग की इस महिला हेल्थ वर्कर यूरोलॉजी आईपीडी में ड्यूटी पर थी, जहां भर्ती हुए एक अन्य कोरोना पॉजिटिव मरीज से उसे संक्रमण हुआ था। जिसके बाद नर्सिंग ऑफिसर को एम्स अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया था। उनकी दूसरी कोविड जांच भी नेगेटिव आई है,लिहाजा इस मरीज को कोरोना मुक्त घोषित कर दिया गया है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी के स्टाफ ऑफिसर डा. मधुर उनियाल जी ने बताया कि एम्स में भर्ती अन्य कोरोना पॉजिटिव मरीजों की सेहन में भी तेजी से सुधार हो रहा है, सभी रोगी स्वस्थ हैं। उन्होंने बताया कि अन्य भर्ती पांच में से कोई भी मरीज आईसीयू में नहीं है।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन सक्षम के सानिध्य में मुनीशाभा सेवा सदन पुनर्वास संस्थान द्वारा मनाया गया विश्व थैलेसीमिया दिवस जागरूक सप्ताह
— कपिल रतूडी
दुनियाभर में हर साल 8 मई को में वर्ल्ड थैलेसीमिया डे मनाया जाता है। इसी क्रम में गत वर्षों के समान मुनीशाभा सेवा सदन पुनर्वास संस्थान संयुक्त दून डिफरेंटली एबल्ड ट्रस्ट द्वारा सक्षम (अनुषांगिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ )के सानिध्य में थैलेसीमिया जागरूक सप्ताह बनाने का निर्णय लिया गया। इस क्रम में 8 मई से 14 मई 07 दिनों तक थैलेसीमिया सप्ताह मे कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए लोक डाउन का पालन करते हुए सामाजिक दूरी बनाते हुए सोशल साइट द्वारा कॉन्फ्रेंस करके लोगों को जागरूक करके मनाया।इस क्रम में प्रतिदिन उन लोगों को जागरूक किया जाएगा जो इस बीमारी से पीड़ित तो है परंतु इस बीमारी की उनको पूर्ण जानकारी नहीं है विभिन्न पद्धति आयुर्वेद,एलोपैथ एवं होम्योपैथ में जो भी थैलेसीमिया की विभिन्न जानकारियां हैं उनको अलग अलग डॉक्टरों के द्वारा समय-समय पर दिलाई जाएगी इस क्रम में मुनीशाभा सेवा सदन पुनर्वास संस्थान के सचिव एवं सक्षम उत्तराखंड के दिव्यांग सलाहकार प्रमुख तथा उत्तराखंड सरकार के राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड सदस्य अनंत प्रकाश मेहरा ने बताया कि थैलेसीमिया बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है, इस रोग की पहचान बच्चे में 3 महीने बाद ही हो पाती है। इसको मनाने का सबसे बड़ा लक्ष्य है लोगों को रक्त संबंधित इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करना है।
माता-पिता से अनुवांशिकता के तौर पर मिलने वाली इस बीमारी की विडंबना है कि इसके कारणों का पता लगाकर भी इससे बचा नहीं जा सकता। हंसने-खेलने और मस्ती करने की उम्र में बच्चों को लगातार अस्पतालों के ब्लड बैंक के चक्कर काटने पड़ें तो सोचिए उनका और उनके परिजनों का क्या हाल होगा। लगातार बीमार रहना, सूखता चेहरा, वजन ना बढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थैलेसीमिया रोग होने पर दिखाई देते हैं। इस मौके पर संस्थान के अध्यक्ष डॉ मुनीश चंद्र मेहरा ने बताया कि यह एक ऐसा रोग है जो बच्चों में जन्म से ही मौजूद रहता है। तीन माह की उम्र के बाद ही इसकी पहचान होती है। इसमें बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून की जरूरत होती है। खून की कमी से हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है एवं बार-बार खून चढ़ाने के कारण मरीज के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्व जमा होने लगता है, जो हृदय में पहुंच कर प्राणघातक साबित होता है। उन्होंने थैलेसीमिया के लक्षण बार-बार बीमारी होना ,सर्दी, जुकाम बने रहना, कमजोरी और उदासी रहना, आयु के अनुसार शारीरिक विकास न होना ,शरीर में पीलापन बना रहना व दांत बाहर की ओर निकल आना ,सांस लेने में तकलीफ होना,कई तरह के संक्रमण होना ऐसे कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। अस्थि मंजा ट्रांसप्लांटेशन (एक किस्म का ऑपरेशन) इसमें काफी हद तक फायदेमंद होता है, लेकिन इसका खर्च काफी ज्यादा होता है। देश भर में थैलेसीमिया, सिकल सेल, सिकलथेल, हिमोफेलिया आदि से पीड़ित अधिकांश गरीब बच्चे 8-10 वर्ष से ज्यादा नहीं जी पाते।
इस मौके पर दून डिफ्रैंटली एबल ट्रस्ट की संस्थापक अध्यक्ष एवं सक्षम उत्तराखंड प्रांत की प्राणदा प्रमुख निरूपमा ने बताया
कि विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जांच कराएं,गर्भावस्था के दौरान इसकी जांच कराएं,मरीज का हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखने की कोशिश करें, समय पर दवाइयां लें और इलाज पूरा लें। तथा इस मौके पर सक्षम के उत्तराखंड प्रांत के सचिव ललित पंत जी ने बताया कि
थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है। यह दो प्रकार का होता है। यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थैलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है। पालकों में से एक ही में माइनर थैलेसीमिया होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता। अतः जरूरी यह है कि विवाह से पहले महिला-पुरुष दोनों अपनी जांच करा लें।
सक्षम के उत्तराखंड के प्रभारी एवं प्रचारक राम मिश्रा जी ने थैलेसीमिया के बारे में कुछ अहम तथ्य पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया थैलेसीमिया पीडि़त के इलाज में काफी खून और दवाइयों की जरूरत होती है। इस कारण सभी इसका इलाज नहीं करवा पाते, जिससे 12 से 15 वर्ष की आयु में बच्चों की मौत हो जाती है। सही इलाज करने पर 25 वर्ष व इससे अधिक जीने की उम्मीद होती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, खून की जरूरत भी बढ़ती जाती है। अत: सही समय पर ध्यान रखकर बीमारी की पहचान कर लेना उचित होता है। इस ऑनलाइन जागरूकता संगोष्ठी में सक्षम प्रांत उपाध्यक्ष अतुल गुप्ता, प्रांत सह सचिव बी पी कुकरेती, श्याम धनिक प्रांतीय सह सचिव, प्रांतीय दिव्यांग अनुसंधान प्रमुख डॉक्टर सिद्धार्थ पोखरियाल ,प्रांतीय दिव्यांग सलाहकार सह प्रमुख एवं राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड सदस्य सतीश चौहान, प्रांतीय कोषाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ,गढ़वाल मंडल अध्यक्ष राजकिशोर जैन, जिला अध्यक्ष देहरादून हरीश जोशी, जिला अध्यक्ष उधम सिंह नगर मीनाक्षी चौहान, जिला अध्यक्ष पौड़ी गढ़वाल कपिल रतूड़ी , संयोजक दिनेश बिष्ट जिला पौड़ी , महिला प्रमुख जिला पौड़ी दुर्गा चौहान, महिला उपाध्यक्ष पौड़ी अनीता ,विपिन धीमान अस्थि दिव्यांग प्रकोष्ठ प्रमुख हरिद्वार, भुवन गुणवंत हल्द्वानी, पृथ्वीपाल सिंह रावत प्रांतीय उपाध्यक्ष, पिंकी बिष्ट नगर अध्यक्ष श्रीनगर, उमेश ग्रोवर प्रांत प्रमुख श्रवण बाधित प्रकोष्ठ, श्रवण बाधित प्रकोष्ठ प्रमुख जिला देहरादून रुचि ग्रोवर आदि लोगों ने प्रांतीय स्तरीय संगोष्ठी में प्रतिभाग कर विश्व थैलेसीमिया दिवस जागरूकता सप्ताह के प्रथम दिवस की शुरुआत की।