उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को मिली केंद्र से सैद्धांतिक स्वीकृति,थलनदी में भी बनेगी झील।##करोना वायरस से आवश्यक सतर्कता बरतने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव व प्रदेश के मुख्यसचिव के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग बैठक##हल्द्वानी में अवैध निर्माण ध्वस्त।पढिए Janswar.com में

समाचार प्रेषण-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी

उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को मिली केंद्र से सैद्धांतिक स्वीकृति

  • लगभग 1203 करोड़ रूपए की है अनुमानित लागत।
  • मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रोजेक्ट के लिए समय सीमा तय करने के निर्देश दिए।
  • प्रोजक्ट के तहत किया जाएगा जल स्रोतों का पुनर्जीवन और जलाशयों व झीलों का निर्माण।
  • सिंचन क्षमता, कृषिगत और हॉर्टीकल्चर उत्पादन में होगी वृद्धि, पर्यावरण व वन्य जीवन के संरक्षण में रहेगा  सहायक।

केंद्र सरकार ने लगभग 1203 करोड़ रूपए के उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक स्वीकृति दी है। सिंचाई विभाग द्वारा उत्तराखण्ड वाटर मेनेजमेंट प्रोजेक्ट बनाया गया है। इसकी अनुमानित लागत 1203 करोड़ रूपए है। नीति आयोग द्वारा ‘‘जलसुरक्षा के लिए हिमालय के जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन’’ पर प्रकाशित रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए यह प्रोजेक्ट तैयार किया जा गया है। प्रोजेक्ट की प्री-फिजीबिलीटी रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। इसके तहत प्रस्तावित बांध, नहरों व तालाबों के निर्माण की डीपीआर बनाई जा रही है।
जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन, तालाबों के निर्माण और नहरों के पुनरूद्धार पर फोकसमुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के समक्ष प्रोजेक्ट का प्रस्तुतिकरण किया गया। बताया गया कि प्रस्तावित ‘उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट’’ के तहत जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन, जलाशयों से गाद निकालने, तालाबों के निर्माण और नहरों के पुनरूद्धार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
निर्धनता उन्मूलन, स्वास्थ्य, साफ पानी, जलवायु संरक्षण जैसे स्थायी विकास लक्ष्यों की पूर्ति में सहायकमुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पर गम्भीरता और समयबद्धता से काम करने के निर्देश देते हुए कहा कि इससे प्रदेश को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिलने के साथ ही सकारात्मक सामाजिक प्रभाव भी होंगे। पर्यावरण और वन्य जीवन के संरक्षण में भी यह प्रोजेक्ट सहायक रहेगा। परियोजना गरीबी उन्मूलन, अच्छा स्वास्थ्य, साफ पानी और स्वच्छता, क्लाईमेट एक्शन और भूमि पर जीवन जैसे स्थायी विकास लक्ष्यों की पूर्ति में सहायक होगी।
पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिकी होगी मजबूतसचिव डा. भूपिंदर कौर औलख ने बताया कि प्रोजेक्ट से प्रदेश में सिंचन क्षमता में वृद्धि होगी जिससे कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा। भूमिगत जल स्तर रिचार्ज होगा। जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन से स्थानीय लोगों और किसानों को सीधा फायदा होगा। सिंचन क्षमता और कृषिगत उत्पादन में बढ़ोतरी होने से पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन कम होगा। हॉर्टीकल्चर और पर्यटन गतिविधियों में भी वृद्धि होने से स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने से लोगों को रोजगार मिलेगा और आय बढ़ेगी। पर्वतीय क्षेत्रों के प्राकृतिक जलस्त्रोतों का पुनर्जीवन होगा जो कि वनस्पति और वन्य जीव जंतुओं के लिए बहुत जरूरी है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।
जलस्त्रोतों की मैपिंग और स्प्रिंग शैड मैनेजमेंटजलस्त्रोतों के पुनर्जीवन के तहत जलस्त्रोतों की मैपिंग और स्प्रिंग शैड मैनेजमेंट किया जाएगा। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाईड्रोलॉजी रूड़की द्वारा लघु चैक डैम बनाने, ट्रेंचेज को रिचार्ज करने और कैचमेंट एरिया में पौधारोपण का सुझाव दिया गया है। स्त्रोतों के पुनर्जीवन पर लगभग 90 करोड़ रूपए की लागत आएगी।
ग्रेविटी आधारित सिंचाई स्किमों का पुनरूद्धारमौजूदा नहरों के पुनरूद्धार के तहत 382 लघु सिंचाई की नहरों/गूलों की मरम्मत के लिए 95 योजनाओं का काम लिया गया है। इन 95 ग्रेविटी स्किमों के पुनरूद्धार व नवीनीकरण पर 324 करोड़ रूपए की लागत अनुमानित है।
जलाशयों की डिसिल्टिंगजलाशयों के डिसिल्टिंग के तहत हरिपुरा और बौर जलाशयों की डिसिल्टिंग कर इनकी सिंचन क्षमता में सुधार लाया जाएगा। इस पर 176 करोड़ रूपए की लागत अनुमानित है।
बैराज और झीलों का निर्माणप्रोजेक्ट में कुल 10 बांध और झीलों का निर्माण प्रस्तावित किया गया है। इनमें पूर्वी नयार नदी पर खैरासैण झील, सतपुली के निकट झील, पश्चिमी नयार नदी पर पापडतोली, पैठाणी, स्यूंसी व मरखोला झील, साकमुंडा नदी पर झील, थल नदी पर झील, खो नदी पर दुगड्डा में बैराज और रामगंगा नदी पर गैरसैण झील शामिल हैं। इन 10 झीलों और बैराज के निर्माण पर 613 करोड़ रूपए की लागत अनुमानित है। —————————————————–

कॅरोना वायरस से आवश्यक सतर्कता बरतने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुश्री प्रीति सुदन के साथ मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह की वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक हुई।
मुख्य सचिव ने अवगत कराया कि प्रदेश की नेपाल सीमा से लगे जनपद चम्पावत, पिथौरागढ़ एवं ऊधम सिंह नगर में प्रभावित देशों से आने वाले पर्यटकों पर निगरानी हेतु सीमा क्षेत्र में मेडिकल टीमें लगाई गयी है तथा संभावित मरीज की सघन स्क्रीनिंग की जा रही है। ज्ञातव्य है कि चम्पावत में बनबसा, टनकपुर, पिथौरागढ़ के धारचूला, बलुवाकोट, जौलजीवी, झूलाघाट, नैनीसैणी एयरपोर्ट, ऊधम सिंह नगर में खटीमा, पंतनगर एयरपोर्ट, देहरादून एयरपोर्ट में एम्बुलेंस के साथ मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं। मुख्य सचिव ने स्क्रीनिंग सेंटर के आस-पास अवस्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आईसोलेशन बेड्स बढ़ाने के निर्देश दिये। वर्तमान में एच1 एन1 इन्फ्लूएंजा, कॉरोना, वायरस रोगियों के उपचार हेतु अल्मोड़ा में 14, चमोली में 18, चम्पावत में 16, देहरादून में 25, नैनीताल में 32, पौड़ी में 24, रूद्रप्रयाग में 10, टिहरी में 14 हरिद्वार में 12, पिथौरागढ़ में 4 आईसोलेशन बेड्स की व्यवस्था उपलब्ध है। चर्चा में बताया गया कि प्रदेश में अभी तक कोई कॅरोना वायरस मरीज की पुष्टि नहीं हुई है।
मुख्य सचिव ने ग्राम स्तर पर वृहद प्रचार-प्रसार हेतु सचिव पंचायत को निर्देश दिये। मुख्य सचिव ने सीमावर्ती निकटस्थ स्वास्थ्य केन्द्रों पर आईसोलेशन सुविधा विस्तार के निर्देश दिए। पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी द्वारा विभिन्न स्थानों में तैनात मेडिकल टीम के साथ समन्वय हेतु पर्याप्त पुलिसकर्मी तैनाती की जानकारी दी गई।
वीडियो कॉफ्रेंसिंग में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य नितेश झा, प्रभारी सचिव स्वास्थ्य श्री पंकज पांडे, मिशन निदेशक स्वास्थ्य एवं अपर सचिव युगल किशोर पंत, महानिदेशक स्वास्थ्य श्रीमती अमिता उप्रेती, राज्य कार्यक्रम अधिकारी उत्तराखण्ड डा. पंकज सिंह ने प्रतिभाग किया।
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विगत लगभग दस दिन पूर्व गौला बैराज के पास अवैध रूप से राजकीय भूमि पर बनाई गई कैटीन संयुक्त कारवाही में तोड़ी गयी थी। तत्समय तोड़ी गयी कैंटीन की सामग्री नही जब्त की गई थी।
कैंटीन संचालक द्वारा उक्त स्थान पर फिर से एक छोटे टिन शेड को खड़ा कर पुनः अवैध कैंटीन संचालन के फिराक में था, जिसे जिलाधिकारी श्री सविन बंसल के आदेश पर सोमवार को पुनः ध्वस्त करते हुये सामान जब्त किया।
नगर निगम व सिचाई विभाग की टीम के सहयोग से जेसीबी से पूरी तरह से हटा दिया गया । तोड़ी गई संरचना को भी वहां से हटा कर नगर निगम को दिया गया। अवैध कैंटीन के किनारे जेसीबी से गहरी नीव दीवार निर्माण हेतु खोदी गयी ,अधिशासी अभियंता जमरानी सिचाई खंड से तत्काल दीवार निर्माण शुरू कराया गया। जिलाधिकारी श्री बंसल द्वारा दीवार निर्माण हेतु धनराशि जमरानी सिचाई खंड को दी गयी है। अवैध कैंटीन के समीप ही रास्ते मे अवैध रूप से बनाई गई सीढ़ी भी जेसीबी से तोडी गयी। वर्तमान में गौला बैराज से अवैध खनन पूरी तरह से बंद हो गया है। भविष्य में अवैध खनन कतई नही होने दिया जाएगा।
इस मौके पर उपजिलाधिकारी विवेक राय, उप नगर आयुक्त विजेंद्र चैहान ,तहसीलदार भगवान सिंह चैहान ,थानाध्यक्ष नंदन सिंह रावत , अधिशासी अभियंता सिचाई तरुण बंसल, अधिशासी अभियंता जमरानी,सहायक अभियंता सिचाई आदि मौजूद थे।

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