उत्तराखण्ड के जनकवि ‘गिर्दा’ की जयंती पर श्रद्धांजलि। WWW.JANSWAR.COM

(अरुणाभ रतूड़ी जनस्वर)

उत्तराखण्ड के जनकवि ‘गिर्दा’ की जयंती पर श्रद्धांजलि।

आज उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध जनकवि, संपादक, लेखक और समाजसेवी श्री गिरीश चंद्र तिवारी ‘गिर्दा’ की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन किया जा रहा है। गिर्दा जी उत्तराखण्ड आंदोलनों की आवाज़ थे, जिन्होंने अपने गीतों और लेखन के माध्यम से पहाड़ की अस्मिता, संस्कृति और जनभावनाओं को बल दिया।

उनकी रचनाएँ केवल साहित्य तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने और आंदोलन को मजबूती प्रदान करने का कार्य करती रहीं। गिर्दा जी ने जनकविता को नई पहचान दी और संस्कृतिकर्मी के रूप में उन्हें सदैव याद किया जाएगा।

इस अवसर पर लोग उन्हें उनके अमर गीतों और विचारों के माध्यम से स्मरण कर रहे हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों का कहना है कि गिर्दा जी का योगदान आने वाली पीढ़ियों को भी संघर्ष और सांस्कृतिक चेतना की राह दिखाता रहेगा।

उत्तराखण्ड के साहित्य और सामाजिक सरोकारों में उनके योगदान को आज भी कृतज्ञतापूर्वक याद किया जा रहा है।