उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में सीएम हेल्पलाइन की ट्रेनिंग संपन्न हुई।
समाचार प्रस्तुति-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी
उत्तराखण्ड सरकार गुड गवर्नेंस के प्रति पूरी तरह समर्पित है। जनसामान्य की शिकायतों के निराकरण के लिए बनाए गए सीएम हेल्पलाइन पोर्टल 1905 के सभी स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर दक्ष कर दिया गया है। प्रदेश के सभी 13 जिलों के L1 स्तर और L2 स्तर के अधिकारियों को ट्रेनिंग दे दी गई है। L1 स्तर और L2 स्तर के अधिकारियों में विभाग द्वारा चिन्हित किये गए ब्लाक स्तर और जिले स्तर के अधिकारी सम्मिलित हैं।
इस ट्रेनिंग में सभी अधिकारियों को 1905 टोल फ्री नंबर या सीएम हेल्पलाइन पोर्टल cmhelpline.uk.gov.in या मोबाइल एप द्वारा प्राप्त होने वाली शिकायत के सही तरीके और शीघ्र गति एवं गुणवत्ता के साथ समाधान करने की ट्रेनिंग दी गई है। अधिकारियों को उनके ही जिले में सीएम हेल्पलाइन के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा जिला अधिकारी की उपस्थिति में ट्रेनिंग करवाई गई है और अधिकारियों की समस्या का निराकरण भी किया गया है। 20 जुलाई से शुरू हुई इस ट्रेनिंग कार्यक्रम में उत्तराखंड राज्य के सभी 13 जिलों के अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
गढ़वाल मंडल के 7 जिलों देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी एवं कुमाऊं मंडल के सभी 6 जिलों उधमसिंह नगर, नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चम्पावत जिले में सीएम हेल्पलाइन को सुचारू रूप से चलाने के लिये अधिकारियों की यह प्रेक्टिकल ट्रेनिंग पूर्ण हो चुकी है। सीएम हेल्पलाइन पर 3450 अधिकारियों को उनके जिले में आई०टी० विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जा चुका है। अधिकारियों की बेहतर मानीटरिंग के लिए जिला अधिकारी को सीएम हेल्पलाइन का डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेटर बनाया गया है व मंडलायुक्त को मंडल का एडमिनिस्ट्रेटर बनाया गया है। इससे जिला अधिकारी प्रत्येक दिन किसी भी समय अपने जिले के और गढ़वाल और कुमाऊं कमिश्नर अपने मंड़ल के सभी विभागों में सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज हो रही शिकायतों की कार्यवाही पर नजर रख सकेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि सीएम हेल्पलाईन पर पंजीकृत अधिकारी प्रत्येक कार्य दिवस में प्राप्त शिकायतों पर कार्यवाही करना सुनिश्चित करें एवं मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा भी शिकायतों पर की गई कार्यवाही की सतत् मॉनिटरिंग की जाए। वर्तमान में सुबह 8 आठ बजे से रात के 10 बजे तक संचालित की जा रही है। रात्रि 10 बजे से सुबह 8 बजे तक जो भी कॉल आती हैं, उनकी रिकार्डिंग की व्यवस्था भी की जाए और उन्हें संबंधित अधिकारियों को अग्रसारित किया जाए। सीएम हेल्पलाईन में सभी स्तरों के अधिकारियों की परफोरमेंस वेल्युशन किया जाए। लापरवाह अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जनता को छोटी-छोटी सामान्य शिकायतों के लिए सचिवालय या मुख्यमंत्री आवास के चक्कर न काटने पड़े इसलिए अधिकारी सामान्य शिकायतों का अपने स्तर पर त्वरित निस्तारण करें। उन्होने बताया हेल्पलाइन पर प्राप्त शिकायत का समयबद्ध निराकरण जरूरी है। जनता के साथ सीधा संवाद करने और जनता की परेशानियों को दूर करने के लिए सुशासन को लागू करते हुए उत्तराखण्ड के प्रत्येक नागरिक के लिए महत्वपूर्ण जन कल्याणकारी योजना के रूप में मुख्यमंत्री ने सीएम हेल्पलाइन की ऐतिहासिक शुरूआत की है। उन्होने अधिकारियों से कहा सीएम हेल्पलाइन को रोज देखना अपनी आदतों में शामिल करें, जो शिकायत आपके विभाग से सम्बन्धित नही है उसे सम्बन्धित विभाग को हस्तान्तरित किया जाये। अधिकारी संवादहीनता व संवेदनहीनता से बचें, आपसी संवाद से ही समस्याओं का समाधान निकलता है। संवेदनशील होकर कार्य करें व हेल्पलाईन में प्राप्त समस्याओं का समय से समाधान करें। उन्होंने बताया मुख्यमंत्री कार्यालय नियमित रूप से सीएम हेल्पलाइन पर प्राप्त शिकायतों की मॉनिटरिंग कर रहा है।
सीएम एप की लोकप्रियता के बाद मुख्यमंत्री द्वारा सीधे जनता तक पहुॅच बनाने व उनकी समस्याओं व शिकायतों के निराकरण हेतु 23 फरवरी 2019 को मुख्यमंत्री हेल्पलाईन 1905 प्रारंभ की गयी है, जिसमें प्रत्येक स्तर पर अधिकारियों द्वारा 7 दिन के भीतर समस्याओं का निदान करना आवश्यक होगा। 23 फरवरी 2019 से 18 सितंबर 2019 तक सीएम हेल्पलाइन पर 11,632 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपने कार्य एवं दायित्वो को संजीदगी से करते हुए जनता की समस्याओं का समाधान समयबद्ध तरीके से करें। जनता की सहूलियत के लिए और शिकायत प्रक्रिया को और सरल बनाने के लिये मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर क्षेत्रीय भाषाओं में भी सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करने की सुविधा दी गई है। उत्तराखण्ड का कोई भी नागरिक कई भाषाओं में सीएम हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर 1905 पर हिंदी, अंग्रेजी, गढ़वाली, पंजाबी, कुमाउनी भाषा मे अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।
ट्रेनिंग के दौरान अधिकारियों को बताया गया है कि सभी जिला अधिकारी जिला स्तर पर व मंडल कमिश्नर मंडल स्तर पर प्रत्येक महीने प्राप्त शिकायतों के निस्तारण की समीक्षा बैठक लेंगे। शासन स्तर पर भी मा० मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव स्तर पर सभी स्तर पर समीक्षा बैठक की जायेगी। समीक्षा बैठक में बहुत अच्छा प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को पुरस्कृत किया जायेगा और लापरवाह अधिकारियों पर कार्यवाही की जायेगी। अधिकारियों ने कहा इस तरह की ट्रेनिंग से उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी और शिकायत निवारण की कार्यप्रणाली में गुणवत्तापूर्ण सुधार आएगा। सभी अधिकारियों ने उनके जिले में ही दी जा रही इस ट्रेनिंग के लिये मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का धन्यवाद प्रकट किया।
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श्री रमन रविनाथ (भा.प्र.से.) गढवालमंडल के आयुक्त बने।
शासन ने श्री रमन रविनाथ (भाप्रसे) को गढवाल मंडल के आयुक्त का दायित्व सौंपा है ने अभी तक बाध्य प्रतीक्षा में थे।
अभी तक इस कार्य को श्री दिलीप जावलकर (भाप्रसे) अतिरिक्त कार्यभार के रूप में देख रहे थे।
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ऐम्स में वर्ड पेसेंट सेफ्डी डे मनाया गया।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में वर्ल्ड पेसेंट सेफ्टी- डे के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। एम्स ऋषिकेश में वर्ल्ड पेसेंट सेफ्टी- डे को लेकर आयोजित कार्यक्रम का संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने विधिवत शुभारंभ किया,जिसमें पेसेंट सेफ्टी चैंपियन चिह्नित कर उन्हें आई स्पीक फॉर पेसेंट सेफ्टी बैच वितरित किए गए। निदेशक एम्स ने जोर दिया कि पेसेंट की सुरक्षा को लेकर शतप्रतिशत प्रयास सुनिश्चित किए जाने चाहिंए। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने कहा कि संस्थान में मरीजों की सुरक्षा व बेहतर उपचार की संस्कृति को विकसित करना ही सभी का लक्ष्य होना चाहिए,जिसके लिए मुहिम में चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ व अन्य को सहभागिता सुनिश्चित करने की जरुरत है। डीन एकेडमिक प्रो.मनोज गुप्ता ने मरीजों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत बताई। अस्पताल प्रशासन की ओर से आयोजित कार्यशाला में फैकल्टी व नर्सिंग स्टाफ ने प्रतिभाग किया। डीन एलुमिनाई बीना रवि ने प्रतिभागियों को पेसेंट सेफ्टी के तकनीकी गुर सिखाए। एमएस डा.ब्रह्मप्रकाश ने डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित पेसेंट सेफ्टी के लक्ष्य बताए। इस अवसर पर व्याख्यानमाला में डा.पुनीत गुप्ता ने संक्रमण से सुरक्षा, डा.दलजीत कौर ने सुरक्षित रक्त का उपयोग संबंधी जानकारियां दी। डा.अनुभा अग्रवाल ने मरीज की सही पहचान, चिकित्सक व रोगी के बीच बेहतर संवाद,मरीज को गिरने से बचाव के उपाय, सुरक्षित शल्य चिकित्सा आदि से संबंधित एम्स संस्थान में की गई व्यवस्थाओं के बारे में बताया। डा. प्रेरणा बब्बर ने भविष्य में संस्थान में पेसेंट सेफ्टी से संबंधित किए जाने वाले उपायों की जानकारी दी। मरीजों की सुरक्षा विषय पर फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा सुरक्षित औषधि विषय पर दो दिनी कार्यशाला आयोजित की गई,जिसमें राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सकों व विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। इसी श्रंखला में चिकित्सकों,नर्सिंग स्टाफ, सिक्योरिटी गार्ड्स, सफाईकर्मियों को आई स्पीक फॉर पेसेंट सेफ्टी बैच वितरित किए गए, मरीजों की सुरक्षा विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता हुई,जिसमें नर्सिंग स्टूडेंट्स ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर प्रो.किम मेमन, डा.श्रीपर्णा बासू, डा.जया चतुर्वेदी, उप चिकित्सा अधीक्षक डा. लता गोयल,डा. पूर्वी कुलश्रेष्ठा, अधीक्षण अभियंता सुलेमान अहमद, ईई एमपी सिंह आदि मौजूद थे।