इस साल,स्वतंत्रता दिवस की संध्या पर वर्षा के होने के बाद भी मजेदार व यादगार रहा राजभवन का जलपान।पढिए Janswar.com में।

इस साल का स्वतंत्रता दिवस की संध्या पर वर्षा के होने के बाद भी मजेदार व यादगार रहा राजभवन का जलपान।

प्रस्तुति-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी।राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त पत्रकार,राज्य आन्दोलनकारी,अध्यक्ष प्रेसक्लब मुनिकीरेती(पं)।

स्वतंत्रता दिवस की संध्या पर राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार होने के नाते हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी राजभवन से न्योता आया।पर इस बार न्योता आने के बाद अनेक मैसेज और फोन भी आये कि निमंत्रण मिला या नहीं।
सुबह परेडग्राउंड में हुए झंडारोहण कार्यक्रम के लिए सचिव सूचना द्वारा निमंत्रण पत्र मिला था जो सूचना महानिदेशक के निदेशालय द्वारा मिला।इसलिए सुबह परेडग्राउंड जाने के लिए प्रिय उमाशंकर कुकरेती (PTI के फोटोग्राफर) सारथी के रूप में परेडग्राउंड तक ले गये। वहां से कार्यक्रम के बाद सायं राजभवन के लिए भानजे प्रिय सुनील बडोला को सारथी बनाया।
राजभवन के अन्दर जाते ही बारीश प्रारंभ हो गयी जिसने धीरे-धीरे मूसलाधार रूप ले लिया।पिछले वर्षों की भांति खुले में होने वाली बैठक व्यवस्था लगभग ध्वस्त हो गयी। बैठक के टैंट के नीचे दो पंक्तियों में कुर्सी लगी थी जिनमें से एक पर मैं विराजमान हो गया। संयोग से उस पर उच्च अधिकारी बैठे थे जब भी कोई और बड़ा अधिकारी आता तो वे खडे़ होकर अभिवादन करते मजबूरन मुझे भी ऊठक बैठक करनी पड़ी।साईटिका का मरीज होने के कारण बार बार की इस उठक बैठक से मैं परेशान हो रहा था तभी मान. मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी वहां पहुंचे।उनसे मिलने के बाद मैं पीछे की पंक्ति में जा बैठा।जिससे बार बार की उठक बैठक से कुछ राहत मिली। वर्षा के कारण सभी लोगों को जलपान स्टाल टैंट में शरण लेनी पड़ी।
इसी मूसलाधार वर्षा के बीच निर्धारित समय पर राज्यपाल महोदया आयीं।राष्ट्रधुन के साथ राष्ट्रगान किया गया।उसके बाद राज्यपाल महोदया अपने प्रत्येक अतिथि से मिलीं।
घोषणा के बाद जलपान हुआ और निर्धारित समय पर राज्यपाल महोदया का प्रस्थान हुआ।
बारीश कुछ हल्की हो चुकी थी।पर चल रही थी कुछ देर राजभवन के सूचना विभाग के कर्मचारियों के कक्ष में जा बैठा उन्होंने आग्रह से साथ मुझे उपनिदेशक श्री उपाध्याय के कक्ष में बैठा दिया। वे अभी तक कार्यक्रम से निवृत नहीं हुए थे।बारीश कुछ हल्की होने पर बाहर आया तो राजभवन से शहर आने के लिए कुछ नहीं मिला।इसी बीच सचिवालय में कार्यरत एक समीक्षा अधिकारी जो बाहर किसी की प्रतीक्षा कर रहे थे ने मेरी परेशानी पूछी और मुझे अपने वाहन पर व्योमप्रस्थ मेरे कार्यालय जो मेरी सुसराल के एक कक्ष पर है पहुंचाया।आभारी हूं उस नवयुवक अधिकारी का जिसने मुझे परेशान देख कर अपरिचित होते हुए भी मेरी परेशानी दूर की।
इस प्रकार इस साल का स्वतंत्रता दिवस वर्षा के होने के बाद भी मजेदार रहा व यादगार रहा।

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